Tanav Se Pareshan Hai|| Ise Door Kaise Bhagayen

तनाव है आपकी सबसे बड़ा दुश्‍मन, इसे तुरंत कहें अलविदा!


तनाव से बचना किसी के लिए मुमकिन नहीं है। लेकिन इसका सामना करना सबको आना चाहिए। जहां ऑफिस में डीप ब्रीदिंग और यांत्रिक म्यूजिक सुनने जैसे तरीके तनाव दूर करते हैं, वहीं घर पर आप अपना पसंदीदा काम करके मूड फ्रेश कर सकते हैं।  काम में कोई बाधा न आए और जिंदगी को लेकर उत्साह बना रहे, इसके लिए यह बेहद जरूरी है कि हम तनाव का सामना करने के लिए तैयार हों।आज की भागती-दौड़ती जिंदगी में ऐसा कोई नहीं है जिसकी जिंदगी में तनाव न हो। तनाव को हराने के तरीके जगह और परिस्थितियों के हिसाब से अलग-अलग हैं।

डीप ब्रीदिंग फायदेमंद

हर व्यक्ति के अलग-अलग स्ट्रेस प्वाइंट्स होते हैं। यानी तनाव की स्थिति में हर व्यक्ति शरीर के विभिन्न हिस्सों में (टॉक्सिंस स्टोर होने के चलते) दर्द का अनुभव करते हैं, मसलन सिर, पेट, छाती या पैरों में। ऐसा होने पर गहरी सांस भरें और कल्पना करें कि दर्द से पीडि़त अंग में वायु प्रवेश कर रही है। कुछ पल सांस रोककर रखने के बाद कल्पना करें कि उस अंग से वायु के साथ तनाव भी शरीर से बाहर जा रहा है। इस कल्पना के साथ ही श्वास नली से गहरी श्वास छोड़ें। उदाहरण के तौर पर अगर स्ट्रेस के चलते सिर में दर्द है तो गहरी सांस लें और कल्पना करें कि आपके सिर में ऑक्सीजन पहुंच रही है। कुछ सेकंड रुकने के बाद कल्पना करें कि आपके सिर से वायु के साथ तनाव भी बाहर निकल रहा है। कई बार ऐसा करने पर आपका स्ट्रेस कम होगा।


अपना पसंदीदा काम करें

पसंदीदा काम या शौक हमेशा से ही प्रभावी स्ट्रेस बस्टर रहा है। चाहे वह बा$गबानी हो, पेंटिंग हो, गार्डेनिंग हो, डांसिंग हो या म्यूजिक। अगर आप हेडफोन लगाकर म्यूजिक सुनते हुए तनाव दूर करना चाहते हैं तो बिना लिरिक्स वाले इंस्ट्रुमेंटल ट्रैक सुनें। लिरिक्स वाला म्यूजिक न सुनें क्योंकि लिरिक्स मन को भावुक करते हैं। अगर आपके घर पर कोई पेट है तो उसके साथ वक्त बिताकर भी आप मन हलका कर सकती हैं।

विशेष टिप्स

अकसर लोग तनाव के लिए परिस्थितियों को दोष देते हैं। लेकिन सच यह है कि परिस्थितियों पर काबू पाना संभव नहीं है। इसलिए हर परिस्थिति में मन को स्थिर और प्रसन्न रखने की कोशिश करना चाहिए। तनाव का सामना करने में स्त्रियां पुरुषों से आगे हैं।

Read More Articles On Depressionआपकी सेहत को तबाह कर रहा है सोशल एंग्जाइटी! जानें कैसे?


कभी आपको भी ऐसा महसूस हुआ कि आप छोटी-छोटी बातों पर घबराने हैं? या लोगों के बीच जाने से आपको डर लगता है? या कोई किसी ने आपसे कुछ पूछा हो और आपको ऐसा लगा हो कि अगर उत्तर गलत हुआ तो क्या होगा? या फिर अगर रात को सोते समय आप करवटें बदलते रहते हैं और किसी भी तरह आपके मन को शांति नहीं मिलती या आपको ऐसा लगता है कि आपके पास कोई है? अगर ऐसा है तो समझ लीजिए कि आप सोशल एंग्जाइटी की चपेट में आ चुके हैं। इस बीमारी को सोशल फोबिया भी कहते हैं।
एंग्जाइटी डिस्‍ऑर्डर एक प्रकार का मानसिक विकार है जो आमतौर 13 से 35 साल के लोगों में अधिक देखने को मिलता है। सही समय पर इलाज न होने पर यह आगे चलकर फोबिया में बदल जाता है। बदलती जीवनशैली और बढ़ते तनाव के कारण लोगों में यह समस्या तेजी से बढ़ रही है। इस बीमारी का आलम ये है कि ये लोगों में कैंसर की तरह ही लगातार बढ़ती जा रही है। इसके लक्षण पता न होने के कारण यह समस्या बढ़ जाती है। यह बीमारी 6 महीने से अधिक होने पर पागलपन भी बन सकती है या किसी गंभीर रोग को भी अंजाम दे सकती है। इसलिए समय रहते इसकी पहचान करके इलाज करवा लेना ही ठीक ही है। 

इसे भी पढ़ें: आयुर्वेदिक तरीके से करें माइग्रेन का इलाज

सोशल फोबिया के कारण

सोशल फोबिया केवल 5 से 10 प्रतिशत लोगों में ही देखने को मिलता है। आमतौर पर यह रोग 20 साल की उम्र से पहले ही शुरू हो जाता है। पुरुषों की मुकाबले में महिलाओं में यह रोग अधिक देखा पाया है। इस रोग के होने तथा बढ़ने में पारिवारिक और आस-पास के माहौल का महत्वपूर्ण योगदान होता है। यह अनुवांशिक भी हो सकता है या फिर किसी बुरी घटना का साक्षी होने की वजह से भी। 

एंग्जाइटी के लक्षण

फैसला करने की क्षमता कम होना, बोलते हुए घबराहट, पेट में हलचल, कमजोरी, थकावट, बेवजह चिंता, हाथ—पैर का बेवजह कांपना, आंखों के आगे बिंदु तैैरना, घबराहट, डर, नकारात्मक विचार, बेकाबू होना, रात में अचानक उठ जाना, लोगों से डर लगना हाथ पैरों का ठंडा होना, मांसपेशियों में सूजन और पेट में हलचल के लक्षण दिखाई देते है।

इसे भी पढ़ें: Exercise Karne Ke Liye Sahi Time Konsa Hai || Exercise Time Table

क्या है इसका इलाज

सोशल फोबिया के इलाज में दवाओं और मनोचिकित्सा दोनों का ही प्रमुख योगदान और महत्व होता है। इस रोग के लिये दवाओं का चुनाव व्यक्तिकगत लक्षण के आधार पर किया जाता है। मनोचिकित्सा में रोगी के साथ-साथ उसके परिजनों की भी मदद ली जाती है।
इस बीमारी में कम सोचें यानि कि ज्यादा मानसिक तनाव ना लें और कभी भी अकेले न रहें। इसके अलावा ज्यादा से ज्यादा नींद लें। नींद के अभाव में भी ये रोग होता है।
ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और वसा का सेवन करना इस समस्या में काफी फायदेमंद होता है। इसके अलावा अपना भोजन हेल्दी रखें और समय पर करें।
योगा और व्यायाम करना भी सोशल फोबिया में फायदेमंद है। इसके अलावा सुबह शाम ताजी हवा में सैर करें और पैदल चलें।
तनावग्रस्त और जंक फ्रूड के सेवन से दूर रहें। ये आपके रोग को और भी बढ़ा सकती हैं।


आज के समय में शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य से ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य हो गया है, क्‍योंकि अगर आपका मन अच्‍छा है तो शरीर भी सही रहेगा। जब आप मानसिक रूप से परेशान होते हैं या जब आप तनाव और चिंता से ग्रसित होते हैं तो इसका सीधा असर आपकी बॉडी पर होता है। इस वजह से व्‍यक्ति जानलेवा बीमारियों से ग्रसित हो सकता है। ये बात कई वैज्ञानिक रिसर्च में साबित हो चुकी है कि शरीर की ज्‍यादातर बीमारियों का कारण तनाव और अवसाद है। जो व्‍यक्ति की आयु को कम कर देता है। अपनी जीवनशैली को बेहतर बनाकर इस समस्‍या से निपटा जा सकता है। हम आपको 5 ऐसे तरीकों के बारे में बता रहे हैं जिससे तनाव और अवसाद से आप दूर रहेंगे और हमेशा खुशहाल जीवन जी सकेंगे।

रखें अपना ख्‍याल

खाना हमारे शरीर में ईंधन की तरह काम करता है। खाने से ही हमें पौषक तत्व मिलते हैं जो कि शरीर को कार्य करने में मदद करते हैं ऊर्जा देते हैं। भोजन से ही मस्तिष्क भी बेहतर कार्य कर पाता है। नियमित खाएं जिससे जिससे शरीर को लगातार ऊर्जा मिलती रहे। खाना छोड़ने से शरीर और मस्तिष्क दोनों ही थका हुआ महसूस करते हैं। बहुत ज्यादा कैफीन से बचें। कैफीन की ज्यादा मात्रा आपकी नींद को प्रभावित कर सकती है।

एक्‍सरसाइज

एक्‍सरसाइज से आपका शरीर दुरूस्त और मस्तिष्क स्वस्थ रहता है। इसके लिए बहुत ज्यादा समय देने की जरूरत नहीं है। पूरे दिन में केवल 30 मिनट का व्यायाम भी आपके मानसिक स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। कुछ ऐसे व्यायाम चुनें जिन्हें करने में आप आरामदायक और खुशी महसूस करें। एक्‍सरसाइज़ अकेले करने के बजाए किसी के साथ करें। जब भी आप तनाव महसूस करें तो टहलने जरूर जाएं।

पर्याप्‍त नींद

सोने का आपके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जब हम अच्छी और पर्याप्त नींद लेते हैं तो हम तनाव पर अच्छी तरह काबू पा सकते हैं, ध्‍यान केंद्रित कर पाते हैं और सकारात्मक सोच पाते हैं। आपको कितनी नींद चाहिए यह आपके अपने शरीर पर निर्भर करता है। यदि आप दिनभर में नींद महसूस नहीं करते हैं तो समझ लीजिए कि आपने पूरी नींद ली है।

सकारात्मक सोच

किसी भी कार्य को लेकर यह न सोचें कि केवल बुरा ही होगा न ही यह कि केवल अच्छा होगा। सकरात्मक साचेते हुए जो भी होगा उसे स्वीकारने की प्रवृत्ति रखें। आप कैसे दिखते हैं, या कोई आपको पसंद करता है या नहीं, इन सब बातों की परवाह न करें। लोग सूरत से नहीं सीरत से प्रभावित होते हैं। नकारात्‍मक सोच वालों से दूर रहें।
शौक को न करें नजरअंदाज
चाहें जितने भी व्यस्त हों लेकिन अपने शौक को जरूर पूरा करें। उसके लिए समय जरूर निकालें। ऐसा करने से आप मानसिक रूप से भी खुद को तरोताजा महसूस करते हैं। मस्तिष्क में फील गुड हार्मोन का स्त्राव होता है जिससे आपकी मेंटल हेल्थ पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं।

Read More Articles On Mental Health In Hindi

Comments